Friday, January 15, 2016

Hot video

कोई मेरी भी प्यास बुजा दो न यार - VERY HOT VIEDO: http://youtu.be/1hEAmId3vIg

Monday, January 11, 2016

भाभी ने जीना हराम करके देवर के साथ रात भर मस्ती की........देखे इस विडीयो मे देवर भाभी कि रासलीला

भाभी ने जीना हराम करके देवर के साथ रात भर मस्ती की........देखे इस विडीयो मे देवर भाभी कि रासलीला



Thursday, January 7, 2016

True Love

❤❤❤❤❤❤❤❤

अगर आप ने कभी किसी से सच्चा प्यार किया है
तो आज आप को रोना जरुर आयेगा💦
Very very sad love story😢
लडका👦 लडकी👧 को फोन लगता है
👦लडका-हेलो जीया
👧लडकी-बोलो जी
👦लडका-i miss u baby
👧लडकी-i miss u to baby आज सुबह से
पता नही तुमारी याद मुझे बहुत आ रही है i
miss u
👦लडका-(कुछ देर चुप होकर) i miss u jiya
(तोडा रुक कर) आप क्या अभी मेरे पास आ
सकते हो।
👧लडकी-हा मेरा दिल भी आप से मिलने को कर
रहा है
👦लडका-मै होसपीटल मै हु जल्दी आना
👧लडकी-(गबराते हुए) क्या हुआ आप
को बताहो मुझे अभी
👦लडका-जीया plzz मत रोना आप बस मेरे पास
आ जाओ plzz i miss u(लडकी तुरन्त फोन
काट कर लडके के पास पहुच जाती है)
👧लडकी-क्या हुआ राहुल को
👨लडके के पापा-बेटा आप राहुल को जानते हो
👧लडकी-हा मै राहुल की बेस्ट फ्रेण्ड हु
👨लडके के पापा-( तोडा sad होकर) राहुल
को ब्लड कैंसर है जब राहुल से मिलो तो उसे मत
बताना कि उसे कैंसर है उसे नही पता है इसके
बारे मै
(ये सुनते ही लडकी को समझ नही आता ये कोई
बुरा सपना तो नही। हे तो उसका सबसे
बुरा सपना है कास ये सपना ही होता) कुछ देर
बाद लडके को होस आ जाता है लडका अपने
पापा से पुछता है
👦लडका- कोई मिलने आया है क्या
👨लडके के पापा-हा बेटा तूमारी कोई फ्रेण्ड आई
है
👦लडका- plzz पापा क्या मै उसे अकेले मै मिल
सकता हु।
पापा- मै उसे भेजता हु लडके के पापा बाहर जाते
है और लडकी को बोलते है बेटा आप को राहुल
बुला रहा है लडकी सुनते ही तुरन्त अपना बेग
जमीन पर फेख रुम कि तरफ दोड कर जाती है
रुम के दरवाजे पर पहुच कर तोडा रुक जाती है
जैसे उसे कुछ पता ना हो।
👧लडकी-राहुल आप ठीक हो।
👦लडका-जीया आप आ गये हो ना बस अब ठीक हु
👧लडकी-( रोना चाहाती है पर वो लडके के सामने
अपने आप को समालती है) हा आप जल्दी ठिक
हो जाहोगे
👦लडका-(मुस्कुरा कर) कल फिर कोलेज कि पिछे
वाली सीट पर बैठेगे और हा आप मुझे ज्यादा मत
देखना कल ओनली पढाई okk । आप तो पागल
हो हमेशा आप नही पढाई करते हो और ना करने
देते हो
👧लडकी-(आखो से आसु निकलते है पर कई
लडका ना देख ले इसलिए अपनी चुन्नी से पोछ
देती है) हा राहुल आप कर पढाई कर
लेना नही देखुगी
👦लडका-(हल्की आवाज मै)जीया
👧लडकी- हा बोलो
लडका-आप ने मेरा हमेशा कितना ख्याल रखा है
लडकी-अपने आसु रोक नही पाती है और रोने
लगती है
👦लडका-क्या हुआ जीया मै ठीक हु plzz मत
रो हो।
👧लडकी-मै नही रो रही हु बस आपको मेरी उम्र
लग जाये आपको कुछ नही होने दुगी( आसु पोछते
हुए लडके का सीर अपनी कोद मै रख लेती है)
👦लडका-जीया आप कि गोद मै सोने
को जी चाहाता है
👧लडकी-(आखो से आसु गिराते हुए) plzz आप
ऐसा ना बोलो plzz
👦लडका- बस तोडी देर सो लेने दो बहुत सुकुन
मिल रहा है क्या पता कभी ये मोका मिले
ना मिले
👧लडकी-सो जाओ आप
👦लडका- i miss u और अपनी आखे बन्द कर
लेता है कुछ देर बाद लडकी को मेसुस हो जाता है
कि अब मेरा राहुल इस दुनिया मै नही है और
वो उसे फिर भी नही छोडती है और
वो भी अपनी आखे बंद कर लेती है बहुत देर
हो जाती है तो लडके के पापा रुम मै जाते है और
देखते है कि उनका प्यारा बेठा राहुल
उसकी बेस्ट फ्रेण्ड कि बाहो मै दम तोड
चुका था और लडकी की भी सासे थम
चुकी थी दोनो एक दुसरे के साथ दम तोड देते है
💦💦💦💦💦💦💦💦

अगर आपने भी किसी को चाहा है तो आप
को उसकी कसम है इसे इतना सेयर करो की इसे
पढने वालो को आखो मै आसु तो आई जाये —😢😢😢

Lips-kiss-very-hot-couple-wide-full-HD: http://youtu.be/C-2gmEtrw4A

Saturday, January 2, 2016

मम्मी और दीदी की गर्मी 1

मेरे घर में मैं, मेरी माँ, मेरी पत्नी और मेरी बहन है। मेरी बहन की शादी हो चुकी है और वो अपने ससुराल में रहती है। मैं अपनी माँ और पत्नी के साथ यहाँ हैदराबाद में रहता हूँ।


मेरी उम्र 28 साल की है और मेरी पत्नी 24 की है.. मेरी सास और मेरी साली अभी भी बनारस के पास एक गाँव में रहते हैं और वे लाग साल में 2-3 महीने हमारे यहाँ बिताती हैं। सच पूछो तो दोस्तों.. मेरा घर एक स्वर्ग है.. जहाँ किसी भी तरह की कोई मनाही नहीं है।

मैं आप को शुरू से ही ये सारी बातें बताता हूँ।

ये बातें मेरे बचपन की हैं.. घर पर मेरी माँ, मेरी दीदी और मैं सब साथ रहते थे।

मेरी उम्र करीब 18-19 के आस-पास थी.. मेरी लंबाई 5’7” की है।

मेरी दीदी की उम्र 22 साल की थी.. उसकी स्पोर्ट्स में रूचि थी और वो स्टेडियम जाती थी।

मेरी माँ टीचर है.. उसकी उम्र 37-38 की होगी.. मगर देखने में किसी भी हालत में 31-32 से ज्यादा की नहीं लगती थी। माँ और दीदी एकदम गोरी हैं। माँ मोटी तो नहीं.. लेकिन भरे हुए शरीर वाली थीं और उनके चूतड़ चलने पर हिलते थे।

उनकी शादी बहुत जल्दी हो गई थी। मेरी माँ बहुत ही सुंदर और हँसमुख है.. वो जिंदगी का हर मज़ा लेने में विश्वास रखती हैं।

हालाँकि वो सबसे नहीं खुलती हैं.. पर मैंने उसे कभी किसी बात पर गुस्साते हुए नहीं देखा है।

ये बात उस समय कि जब मैं स्कूल में पढ़ता था और हर चीज को जानने के बारे में मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी.. ख़ासतौर से सेक्स के बारे में..

मेरे स्कूल के दोस्त अक्सर लड़की पटा कर मस्त रहते थे। उन्हीं में से दो-तीन दोस्तों ने अपने परिवार के साथ सेक्स की बातें भी बताईं.. तो मुझे बड़ा अज़ीब लगा। मैंने माँ को कभी उस नज़र से नहीं देखा था.. पर इन सब बातों को सुन-सुन कर मेरे मन में भी जिज्ञासा बढ़ने लगी और मैं अपनी माँ को ध्यान से देखने लगा। चूँकि गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं और मैं हमेशा घर पर ही रहता था।

घर में मैं माँ के साथ ही सोता था और दीदी अपने कमरे में सोती थीं। माँ मुझे बहुत प्यार करती थीं।

माँ, दीदी और मैं आपस में थोड़ा खुले हुए थे.. हालाँकि सेक्स एंजाय करने की कोई बात तो नहीं होती थी.. पर माँ कभी किसी चीज का बुरा नहीं मानती थीं और बड़े प्यार से मुझे और दीदी को कोई भी बात समझाती थीं।

कई बार अक्सर उत्तेजना की वजह से जब मेरा लंड खड़ा हो जाता था और माँ की नज़र उस पर पड़ जाती.. तो मुझे देख कर धीरे से मुस्कुरा देतीं और मेरे लंड की तरफ इशारा करके पूछतीं- कोई परेशानी तो नहीं है?

मैं कहता, “नहीं..”

तो वो कहतीं- पक्का.. कोई बात नहीं..?

मैं भी मुस्कुरा देता.. वो खुद कभी-कभी हम दोनों के सामने बिना शरमाए एक पैर पलंग पर रख कर साड़ी थोड़ा उठा देतीं और अन्दर हाथ डाल कर अपनी बुर खुजलाने लगतीं।

नहाते समय या हमारे सामने कपड़े बदलते वक़्त.. अगर उसका नंगा बदन दिखाई दे रहा हो.. तो भी कभी भी शरीर को ढँकने या छुपाने की ज़्यादा कोशिश नहीं की..

ऐसा नहीं था कि वो जानबूझ कर दिखाने की कोशिश करती हों.. क्योंकि इन सब बातों के बाद भी मैंने उसकी या दीदी की नंगी बुर नहीं देखी थी। बस वो हमेशा हमें नॉर्मल रहने को कहतीं और खुद भी वैसे ही रहती थीं। धीरे-धीरे मैं माँ के और करीब आने की कोशिश करने लगा और हिम्मत करके माँ से उस वक़्त सटने की कोशिश करता.. जब मेरे लंड खड़ा होता।

मेरा खड़ा लंड कई बार माँ के बदन से टच होता.. पर माँ कुछ नहीं बोलती थीं।

इसी तरह एक बार माँ रसोई में काम कर रही थीं और माँ के हिलते हुए चूतड़ देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने ने अपनी किस्मत आज़माने की सोची और भूख लगने का बहाना करते हुए रसोई में पहुँच गया।

माँ से बोला- माँ भूख लगी है.. कुछ खाने को दो।

और ये कहते हुए माँ से पीछे से चिपक गया.. मेरा लंड उस समय पूरा खड़ा था और मैंने अपनी कमर पूरी तरह माँ के चूतड़ों से सटा रखी थी.. जिसके कारण मेरा लंड माँ के चूतड़ों के बीच थोड़ा सा घुस गया था।

माँ हँसते हुए बोलीं- क्या बात है आज तो मेरे बेटे को बहुत भूख लगी है..

“हाँ माँ.. बहुत ज्यादा.. जल्दी से मुझे कुछ दो”

और मैंने माँ को और ज़ोर से पीछे से पकड़ लिया और उनके पेट पर अपने हाथों को कस कर दबा दिया। कस कर दबाने की वज़ह से माँ ने अपने चूतड़ थोड़ी पीछे की तरफ किए.. जिससे मेरा लंड थोड़ा और माँ के चूतड़ों के बीच में घुस गया। उत्तेजना की वज़ह से मेरा लंड झटके लेने लगा.. पर मैं वैसे ही चिपका रहा और माँ ने हँसते हुए मेरी तरफ देखा.. पर बोलीं कुछ नहीं…

फिर माँ ने जल्दी से मेरा खाना लगाया और थाली हाथ में लेकर बरामदे में आ गईं।

मैं भी उसके पीछे-पीछे आ गया.. खाना खाते हुए मैंने देखा.. माँ मुझे और मेरे लंड को देख कर धीरे-धीरे हँस रही थीं।

जब मैंने खाना खा लिया तो माँ बोलीं- अब तू जाकर आराम कर.. मैं काम कर के आती हूँ।

पर मुझे आराम कहाँ था.. मैं तो कमरे में आ कर आगे का प्लान बनाने लगा कि कैसे माँ को चोदा जाए.. क्योंकि आज की घटना के बाद मुझे पूरा विश्वास था कि अगर मैं कुछ करता भी हूँ.. तो माँ अगर मेरा साथ नहीं देगीं.. तो भी कम से कम नाराज़ नहीं होंगी।

फिर ये ही हरकत मैंने 5-6 बार की और माँ कुछ नहीं बोलीं.. तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।

एक रात खाना खाने के बाद मैं कमरे में आकर लाइट ऑफ करके सोने का नाटक करने लगा.. थोड़ी देर बाद माँ आईं और मुझे सोता हुआ देख कर थोड़ी देर कमरे में कपड़े और सामान ठीक किया और फिर मेरे बगल में आकर सो गईं।

करीब एक घंटे के बाद जब मुझे विश्वास हो गया कि माँ अब सो गई होगीं.. तो मैं धीरे से माँ की ओर सरक गया और धीमे-धीमे अपना हाथ माँ के चूतड़ों पर रख कर माँ को देखने लगा।

जब माँ ने कोई हरकत नहीं की.. तो मैं उनके चूतड़ों को सहलाने लगा और उनकी साड़ी के ऊपर से ही दोनों चूतड़ों और गाण्ड को हाथ से धीमे-धीमे दबाने लगा। जब उसके बाद भी माँ ने कोई हरकत नहीं की तो मेरी हिम्मत थोड़ा और बढ़ी और मैंने माँ की साड़ी को हल्के-हल्के ऊपर खींचना शुरू किया।

साड़ी ऊपर करते-करते जब साड़ी चूतड़ों तक पहुँच गई.. तो मैंने अपना हाथ माँ के चूतड़ों और गाण्ड के ऊपर रख कर.. थोड़ी देर माँ को देखने लगा.. पर माँ ने कोई हरकत नहीं की।

फिर मैं अपना हाथ उनकी गाण्ड के छेद से धीरे-धीरे आगे की ओर करने लगा, पर माँ की दोनों जाँघें आपस में सटी हुई थीं.. जिससे मैं उन्हें खोल नहीं पा रहा था।

फिर मैंने अपनी दो ऊँगलियां आगे की ओर बढ़ाईं तो मेरी साँस ही रुक गई।

मेरी ऊँगलियां माँ की बुर के ऊपर पहुँच गई थीं।

फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी ऊँगलियों से माँ की बुर सहलाने लगा.. माँ की बुर पर बाल महसूस हो रहे थे।

चूँकि मेरे लंड पर भी झांटें थीं तो मैं समझ गया कि ये माँ की झांटें हैं। इतनी हरकत के बाद भी माँ कुछ नहीं कर रही थीं.. तो मैंने धीरे से अपनी पूरी हथेली माँ की बुर पर रख दी और बुर के दोनों होंठों को एक-एक कर के छूने लगा.. तभी मुझे महसूस हुआ कि माँ की बुर से कुछ मुलायम सा चमड़े का टुकड़ा लटक रहा है।

जब मैंने उसे हल्के से खींचा तो पता चला कि वो माँ की बुर की पूरी लंबाई के बराबर यानि ऊपर से नीचे तक की लंबाई में बाहर की तरफ निकला हुआ था और जबरदस्त मुलायम था।

उस समय मेरा लंड इतना टाइट हो गया था कि लगा जैसे फट जाएगा.. मैं धीरे से उठ कर बैठ गया और अपनी पैन्ट उतार कर लंड को माँ के चूतड़ से सटाने की कोशिश करने लगा… पर कर नहीं पाया।

तो मैं एक हाथ से माँ की बुर में ऊँगली डाल कर बाहर निकले चमड़े को सहलाता रहा और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगा.. 2-3 मिनट में ही मैं झड़ गया।

पर जब तक मैं अपना गाढ़ा जूस रोक पाता.. वो माँ के चूतड़ों पर पूरा गिर चुका था। ये देख का मैं बहुत डर गया और चुपचाप पैन्ट पहन कर.. माँ को वैसा ही छोड़ कर सो गया।

उस समय मेरा लंड इतना टाइट हो गया था कि लगा जैसे फट जाएगा.. मैं धीरे से उठ कर बैठ गया और अपनी पैन्ट उतार कर लंड को माँ के चूतड़ से सटाने की कोशिश करने लगा… पर कर नहीं पाया। तो मैं एक हाथ से माँ की बुर में ऊँगली डाल कर बाहर निकले चमड़े को सहलाता रहा और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगा.. 2-3 मिनट में ही मैं झड़ गया.. पर जब तक मैं अपना गाढ़ा जूस रोक पाता.. वो माँ के चूतड़ों पर पूरा गिर चुका था।
ये देख का मैं बहुत डर गया और चुपचाप पैन्ट पहन कर.. माँ को वैसा ही छोड़ कर सो गया।
सुबह जब मैं उठा तो देखा.. कि माँ रोज की तरह अपना काम कर रही थीं और दीदी हॉकी की प्रैक्टिस.. जो सुबह 6 बजे ही शुरू हो जाती थी.. के लिए जा चुकी थीं।
मैं डरते-डरते बाथरूम की तरफ जाने लगा तो माँ ने कहा- आज चाय
नहीं माँगी तूने..?
तो मैंने बात पलटते हुए कहा- हाँ.. पी रहा हूँ.. पेसाब करके आता हूँ।
जब मैं बाथरूम से वापस आया तो माँ को देखा। माँ बरामदे में बैठी सब्जी काट रही थीं और वहीं पर मेरी चाय रखी हुई थी।
मैं चुपचाप बैठ कर चाय पीने लगा तो माँ मेरी तरफ देख कर हँसते हुए बोलीं- आज बड़ी देर तक सोता रहा।
“हाँ माँ नींद नहीं खुली..”
तो माँ बोलीं- एक काम किया कर.. आज से रात को और जल्दी सो जाया कर..।”
ये कह को वो हँसते हुए रसोई में चली गईं।
जब मैंने देखा कि माँ कल रात के बारे में कुछ भी नहीं बोलीं.. तो मैं खुश हो गया। उस दिन पूरे दिन मैंने कुछ भी नहीं किया.. मैंने सोच रखा था कि अब मैं रात को ही सब कुछ करूँगा.. जब तक या तो माँ मुझसे चुदाई के लिए तैयार ना हो या मुझे डांट नहीं देती।
रात को मैं खाना खाकर जल्दी से कमरे में आकर सोने का नाटक करने लगा। थोड़ी देर में माँ भी दीदी के साथ आ गईं। उस दिन माँ बहुत जल्दी काम ख़त्म करके आ गई थीं।
खैर.. मैं माँ के सोने का इंतजार
करने लगा।
थोड़ी ही देर में दीदी के जाने के बाद माँ धीरे से पलंग पर आकर लेट गईं। करीब एक घंटे तक लेटे रहने के बाद मैंने धीरे से आँखें खोलीं और माँ की तरफ सरक गया।
थोड़ी देर में जब मैंने बरामदे की हल्की रोशनी में माँ को देखा तो चौंक पड़ा.. माँ ने आज साड़ी की जगह नाईटी पहन रखी थी और उन्होंने अपना एक पैर थोड़ा आगे की तरफ कर रखा था।
फिर मैंने सोचा कि अगर ये किस्मत से हुआ तो अच्छा है और अगर माँ जानबूझ कर ये कर रही हैं तो माँ जल्दी ही चुद जाएगी।
उस रात मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी हुई थी.. थोड़ी देर नाईटी के ऊपर से माँ का चूतड़ सहलाने के बाद मैंने धीरे से माँ की नाईटी का सामने का बटन खोल दिया और उसे कमर तक पूरा हटा दिया और धीरे से माँ के चूतड़ों को सहलाने लगा।
मैं जाँघों को भी सहला रहा था.. माँ के चूतड़ और जाँघें इतनी मुलायम थे कि मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था।
फिर मैंने अपना हाथ उनकी जाँघों के बीच डाला तो मैं हैरान रह गया..।
आज माँ की बुर एकदम चिकनी थी.. उनके बुर पर बाल का नामोनिशान नहीं था.. उनकी बुर बहुत फूली हुई थी और बुर के दोनों होंठ फैले हुए थे। शायद एक जाँघ आगे करने के कारण, उनकी बुर से निकला हुआ चमड़ा लटक रहा था। मेरे कई दोस्तों ने गपशप के दौरान इसके बारे में बताया था कि उनके घर की औरतों की बुर से भी ये निकलता है और उन्हें इस पर बड़ा नाज़ होता है। मैं तो उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था.. मैंने लेटे-लेटे ही अपना शॉर्ट्स निकाल दिया और माँ की तरफ थोड़ा और सरक गया.. जिससे मेरा लंड माँ के चूतड़ों से टच करने लगा।
थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद जब मैंने देखा कि माँ कोई हरकत नहीं कर रही हैं.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ी।
अब मैं लेटे-लेटे ही माँ की बुर को सहलाने का पूरा मज़ा लेने लगा।
थोड़ी ही देर मे मुझे लगा कि माँ की बुर से कुछ चिकना-चिकना पानी निकल रहा है..।
ओह्ह.. क्या खुश्बू थी उसकी…
मेरा लंड फूल कर फटने की स्थिति में हो गया.. मैं अपना लंड माँ की गाण्ड के छेद.. उनकी जाँघों पर धीमे-धीमे रगड़ने लगा।
तभी मुझे एक आइडिया आया कि क्यों ना आज थोड़ा और बढ़ कर माँ की बुर से अपना लंड टच कराऊँ।
जब मैंने अपनी कमर को आगे खिसका कर माँ की जाँघों से सटाया तो लगा जैसे करेंट फैल गया हो.. मुझे झड़ने का जबरदस्त मन कर रहा था, पर मैंने सोचा कि एक बार माँ की बुर में लंड डाल कर उनकी बुर के पानी से चिकना कर लूँगा और फिर बाहर निकाल मुठ मार लूँगा।
ये सोच कर मैंने अपनी कमर थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड माँ की बुर से लटके चमड़े को ऊँगलियों से फैलाते हुए उनके छेद पर रखा.. तो माँ की बुर से निकलता हुआ चिकना पानी मेरे सुपारे पर लिपट गया और थोड़ा कोशिश करने पर मेरा सुपारा माँ की बुर के छेद में घुस गया।
जैसे ही सुपारा अन्दर गया.. उफ़फ्फ़ माँ की बुर की गर्मी मुझे महसूस हुई और जब तक मैं अपना लंड बाहर निकालता मेरे लंड से वीर्य का फुहारा माँ की बुर में पिचकारी की तरह निकलने लगा।
मैं घबरा तो गया.. पर ज्यादा हिलने से डर भी रहा था कि कहीं माँ जाग ना जाएं।
जब तक मैं धीरे से अपना लंड माँ की बुर से निकालता.. तब तक मेरे लंड का पानी माँ की बुर में पूरा खाली हो चुका था और लंड निकालते वक़्त वीर्य की गाढ़ी धार माँ के गाण्ड के छेद पर बहने लगी।
मुझे लगा अब तो मैं माँ से पक्का पिटूंगा। मैं डर के मारे जल्दी से शॉर्ट्स पहन कर सो गया.. मुझे नींद नहीं आ रही थी.. पर मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला।
अगले दिन उठा तो देखा कि हमेशा की तरह माँ सफाई कर रही थीं.. पर दीदी स्टेडियम नहीं गई थी।
मुझे देखते ही माँ ने दीदी से कहा- वीना.. जा चाय गरम करके भाई को देदे और मुझे प्यार से वहीं बैठने के लिए कहा।
मैंने चोरी से माँ की ओर देखा तो माँ मुझे देख कर पूछने लगीं, “आज नींद कैसी आई..?
मैंने कहा- अच्छी..।
तो माँ हँसने लगीं और मेरी पैंट की ओर देख कर बोलीं- अब तू रात में सोते समय थोड़े ढीले कपड़े पहना कर। हाफ-पैन्ट पहन कर नहीं सोते हैं।
अब तू बड़ा हो रहा है.. देख मैं और वीनू भी ढीले कपड़े पहन कर सोते हैं। मैं ये सुन कर बड़ा खुश हुआ कि माँ ने मुझे डांटा नहीं।
उस दिन मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि अब माँ मुझे रात में पूरे मज़े लेने से मना नहीं करेगीं.. भले ही दिन में चुदाई के बारे में खुल कर कोई बात ना करें।
अब तो मैं बस रात का ही इंतजार करता था।
खैर.. उस रात फिर जब मैं सोने के लिए कमरे में गया तो मुझे माँ की ढीले कपड़े पहनने वाली बाद याद आई.. पर मेरे पास कोई बड़ी शॉर्ट्स नहीं थी।
मैंने अल्मारी में से एक पुरानी लुँगी निकाली और अंडरवियर उतार कर पहन लिया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी मेरे मन में माँ की सुबह वाली बात चैक करने का विचार आया और मैंने अपनी लुँगी का सामने वाला हिस्सा थोड़ा खोल दिया.. जिससे मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथों को अपनी आँखों पर इस तरह रखा कि मुझे माँ दिखाई दे।
थोड़ी ही देर में माँ कमरे में आईं और नाईटी पहन कर पलंग पर आने लगीं और लाइट ऑफ करने के लिए जैसे ही मुड़ीं.. एकदम से वे मेरे लंड को देखते ही रुक गईं.. थोड़ी देर वैसे ही मेरे लंड को जो की पूरे 6” लम्बा और 1.5” व्यास बराबर मोटा था.. को देखती रहीं।

मैंने अल्मारी में से एक पुरानी लुँगी निकाली और अंडरवियर उतार कर पहन लिया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी मेरे मन में माँ की सुबह वाली बात चैक करने का विचार आया और मैंने अपनी लुँगी का सामने वाला हिस्सा थोड़ा खोल दिया.. जिससे मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथों को अपनी आँखों पर इस तरह रखा कि मुझे माँ दिखाई दे।
थोड़ी ही देर में माँ कमरे में आईं और नाईटी पहन कर पलंग पर आने लगीं और लाइट ऑफ करने के लिए जैसे ही मुड़ीं.. एकदम से वे मेरे लंड को देखते ही रुक गईं.. थोड़ी देर वैसे ही मेरे लंड को जो की पूरे 6” लम्बा और 1.5” व्यास बराबर मोटा था.. को देखती रहीं।
फिर पता नहीं क्यों उन्होंने लाइट बंद करके नाईट-बल्ब जला दिया और पलंग पर लेट गईं।
वो मेरे लंड को बड़े प्यार से देख रही थीं.. पर मेरे लंड को उन्होंने छुआ नहीं..।
फिर दूसरी तरफ करवट बदल कर एक पैर को कल की तरह आगे फैला कर लेट गईं।
मुझे पक्का विश्वास था कि आज माँ ने जानबूझ कर नाईट-बल्ब ऑन किया है ताकि मैं कुछ और हरकत करूँ।
आधे-एक घन्टे के बाद जब मैं माँ की ओर सरका.. तो लुँगी की गाँठ रगड़ से अपने आप ही खुल गई और मैं नंगे ही अपने खड़े लंड को लेकर माँ की तरफ सरक गया और नाईटी खोल कर कमर तक हटा दिया।
उस रात मैंने पहली बार माँ के चूतड़.. गाण्ड और बुर को देख रहा था.. मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।
मैं झुक कर माँ की जाँघों और चूतड़ के पास अपना चेहरा ले जाकर बुर को देखने की कोशिश करने लगा।
मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई चीज इतनी मुलायम, चिकनी और सुन्दर हो सकती है।
माँ की बुर से बहुत अच्छी से भीनी-भीनी खुश्बू आ रही थी.. मैं एकदम मदहोश होता जा रहा था।
पता नहीं कैसे.. मैं अपने आप ही माँ की बुर को नाक से सटा कर सूंघने लगा.. उफ…बुर से निकले हुए चमड़े के दोनों पत्ते.. किसी गुलाब की पंखुड़ी से लग रहे थे।
माँ की बुर का छेद थोड़ा लाल था और गाण्ड का छेद काफ़ी टाइट दिख रहा था.. पर सब मिला कर उनके पूरे चूतड़ और जाँघें बहुत मुलायम थे।
मैंने उसी तरह कुछ देर सूंघने के बाद माँ की बुर के दोनों पत्तों को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
उनकी बुर से बेहद चिकना लेकिन नमकीन पानी निकलने लगा.. मैं भी आज चुदाई के मज़े लेना चाहता था।
फिर मैंने माँ की बुर से निकलते हुए पानी को अपने कड़े सुपारे पर लपेटा और धीरे से माँ की बुर में डालने की कोशिश करने लगा… पर पता नहीं कैसे आज मेरा लंड बड़ी आसानी से माँ की बुर के छेद में घुस गया।
मैं वैसे ही थोड़ी देर रुका रहा.. फिर मैंने लंड को अन्दर डालना शुरू किया।
दो-तीन प्रयासों में मेरा लंड माँ की बुर में घुस गया।
ओह.. क्या मज़ा रहा था.. माँ की बुर काफ़ी गरम थी और मेरे लंड को चारों ओर से जकड़े हुए थी।
थोड़ी देर उसी तरह रहने के बाद मैंने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया। ओह.. जन्नत का मज़ा मिल रहा था..
लगभग 4-5 मिनट अन्दर-बाहर करते ही मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने अपनी रफ़्तार और तेज़ कर दी और अपना गाढ़ा-गाढ़ा वीर्य माँ की बुर में उढ़ेल दिया और थोड़ी देर तक उसी तरह माँ से चिपका हुआ लेटा रहा कि अभी आराम से सो जाऊँगा। पर पता नहीं कैसे आँख लग गई और मैं वैसे ही सो गया।
सुबह जब उठा तो देखा.. मेरी लुँगी की गाँठ लगी हुई है और एक पतली चादर मेरी कमर तक उढ़ाई गई है.. मैं समझ गया कि ये काम
माँ ने किया है.. पर कब और कैसे..? खैर.. जब मैं बाहर निकला तो दीदी स्टेडियम जा चुकी थीं और माँ रसोई में थीं।
मुझे देखते ही वो मेरी और अपनी चाय लेकर मेरे पास आईं और देते हुए बोलीं- आजकल तू बड़ी गहरी नींद में सोता है और अपने कपड़ों का ध्यान भी नहीं रखता है.. सुबह तेरी लुँगी जाने कैसे खुल गई थी और तू वैसे ही मुझ से चिपक कर सो रहा था..।
और वे हँसने लगीं।
तो मैंने कहा- तो ठीक है ना माँ.. इसी बहाने तुम मेरा ध्यान रख लेती हो..। पर इसके आगे की कोई बात माँ ने नहीं की.. तो मैंने भी कुछ नहीं कहा। मैंने सोचा जब रात में सब कुछ ठीक हो रहा है.. तो मज़े लो.. बाकी बाद में देखेंगे और मैं उठ कर फ्रेश होने चला गया।
माँ भी काम करने चली गईं।
इसी तरह 8-10 दिन बीत गए और मैं माँ की चुदाई के मज़े लेता रहा और माँ भी कुछ खुलने लगी थीं।
मैं भी रात को माँ की नाईटी ऊपर से नीचे तक पूरा खोल कर उसे पूरा नंगा कर देता.. फिर थोड़ी देर उसकी गाण्ड और चूत चाटने के बाद उसकी चूचियों को और पेट के नीचे वाले हिस्से को पकड़ कर पूरा ज़ोर लगा कर लंड अन्दर डाल कर चुदाई करता और झड़ने के बाद माँ की बुर से लंड बिना बाहर निकाले हुए उसकी चूचियों को पकड़ कर सो जाता था।
माँ भी सुबह कमरे से बाहर जाते समय मुझे नंगा ही छोड़ देतीं और दरवाज़ा चिपका देतीं.. ताकि दीदी अन्दर ना आ जाए।
अब वे दीदी के जाने के बाद नहाते वक़्त बाथरूम का दरवाजा नहीं बंद करतीं और हमेशा दिन में भी नाईटी पहने रहतीं.. जिसमें से उनका पूरा जिस्म लगभग दिखाई पड़ता था.. पर मैं कुछ ज्यादा ही करना चाहता था।
लगभग 10-12 दिन बाद रात को जब मैं पलंग पर गया तो । मेरे दिमाग में यही सब बातें घूम रही थीं कि कैसे माँ को दिन में चुदाई के लिए तैयार किया जाए।
खैर.. मैं अपना लंड लुँगी से बाहर निकाल कर लेट गया.. थोड़ी देर में माँ कमरे में आईं और थोड़ा सामान ठीक करने के बाद नाइट-बल्ब ऑन करके लेट गईं.. लेटने से पहले उन्होंने मेरे माथे पर चुम्बन किया और मुस्कुरा कर सो गईं।
अब तक मैं ये जान चुका था कि माँ को सब पता है और वो जागी रहती हैं पर चूँकि वो कुछ नहीं कहतीं और चुपचाप मज़े लेती थीं.. तो मैं भी मस्त हो कर मज़े लेता।
अब तो मैं माँ के लेटने के 4-5 मिनट बाद ही शुरू हो जाता और नाईटी खोल कर हटा देता था।
आज भी केवल 5 मिनट के बाद मैंने फिर अपनी लुँगी हटा कर माँ की नाईटी को पूरा उतार दिया, थोड़ी देर तक माँ की गाण्ड और बुर को चाटने और खेलने के बाद जब मैंने लंड को माँ के चूतड़ों से रगड़ना शुरू किया चूँकि माँ आज थोड़ा सा पेट के बल लेटी हुई थीं.. तो मेरे मन में एक आइडिया आया कि क्यों ना आज माँ की गाण्ड में लंड डाला जाए।
ये सोचते ही मैं उत्तेजना से और भर गया और मैं माँ के चूतड़ों को हाथों से थोड़ा खोलते हुए उनकी गाण्ड के छेद को चाटने लगा।
मुझे महसूस हुआ कि माँ की बुर और गाण्ड का छेद खुल और बंद हो रहा था और बुर से पानी निकल रहा था। थोड़ी देर चाटने के बाद मैं ऊँगली से गाण्ड के छेद को खोलने लगा.. फिर सुपारे पर माँ की बुर का पानी लगाया फिर थोड़ा सा पानी उनकी गाण्ड के छेद पर भी लगाया और छेद पर सुपारा रख कर उसकी कमर को पकड़ कर अन्दर डालने की कोशिश करने लगा.. पर उनकी गाण्ड का छेद बुर के छेद से काफ़ी तंग था।
थोड़ी कोशिश करने पर सुपारा तो अन्दर घुस गया पर मैं लंड पूरा अन्दर नहीं डाल पा रहा था.. तो मैंने थोड़ा रुक कर उसके चूतड़ों को हाथों से फैलाते हुए फिर से लंड अन्दर डालना शुरू किया।
पर पता नहीं क्यों मेरे लंड में जलन सी होने लगी.. मैंने लंड बाहर निकाल लिया और नाइट-बल्ब की रोशनी में देखा तो मेरे सुपारे के पास से जो चमड़ा सटा था.. वो एक तरफ से फट गया था और वहीं से जलन हो रही थी।
मेरे दोस्तों ने बताया तो था कि चुदाई के बाद लंड का टांका टूट जाता है और सुपारा पूरा बाहर निकल जाता है।
अब जलन के मारे मैं चुदाई नहीं कर पा रहा था और मारे उत्तेजना के मैं बिना झड़े रह भी नहीं सकता था।
मैं उत्तेजना के मारे लंड को हाथ में पकड़ कर माँ के जिस्म पर रगड़ने लगा।
मेरे दिमाग़ में कुछ भी नहीं सूझ रहा था। मैं तो बस झड़ना चाहता था.. तभी मेरे मन में माँ के मुँह में लंड डालने का विचार आया और मैं अपना लंड माँ के चेहरे से रगड़ने के लिए पलंग से नीचे उतर कर.. माँ के चेहरे के पास खड़ा हो गया।
अपना लंड हाथ में पकड़ कर सुपारा माँ के गालों और होंठों से धीमे-धीमे रगड़ने लगा.. मैं बस उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था।
अगर उस वक़्त माँ उठ भी जाती तो भी मैं नहीं रुक पाता।
फिर मैं माँ के होंठों से सुपारे को सटाते हुए मुठ मारने लगा.. पर उनके मुँह पर झड़ने की हिम्मत नहीं हुई और मैं वहाँ से हट कर उनकी गाण्ड और बुर के छेद पर लंड रख कर मुठ मारने लगा। मैं तेज़ी से मुठ मार रहा था और थोड़ी देर में माँ की गाण्ड के और बुर के छेद पर ऊपर से ही पूरा वीर्य पिचकारी की तरह छोड़ने लगा। माँ की पूरी बुर.. चूतड़ और गाण्ड मेरे वीर्य से भर गई थी और पूरा गाढ़ा पानी उनकी जाँघों पर भी बहने लगा। जब मेरी उत्तेजना शांत हुई तो मैंने लंड में एक तेज़ जलन महसूस की.. मैंने देखा कि मेरा लंड पूरा छिल गया था और चमड़े पर सूजन आ गई थी।
मैं ये देख कर परेशान हो गया और माँ को उसी तरह छोड़ कर चुपचाप सो गया।

अपना लंड हाथ में पकड़ कर सुपारा माँ के गालों और होंठों से धीमे-धीमे रगड़ने लगा.. मैं बस उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था।
अगर उस वक़्त माँ उठ भी जाती तो भी मैं नहीं रुक पाता।
फिर मैं माँ के होंठों से सुपारे को सटाते हुए मुठ मारने लगा.. पर उनके मुँह पर झड़ने की हिम्मत नहीं हुई और मैं वहाँ से हट कर उनकी गाण्ड और बुर के छेद पर लंड रख कर मुठ मारने लगा। मैं तेज़ी से मुठ मार रहा था और थोड़ी देर में माँ की गाण्ड के और बुर के छेद पर ऊपर से ही पूरा वीर्य पिचकारी की तरह छोड़ने लगा। माँ की पूरी बुर.. चूतड़ और गाण्ड मेरे वीर्य से भर गई थी और पूरा गाढ़ा पानी उनकी जाँघों पर भी बहने लगा। जब मेरी उत्तेजना शांत हुई तो मैंने लंड में एक तेज़ जलन महसूस की.. मैंने देखा कि मेरा लंड पूरा छिल गया था और चमड़े पर सूजन आ गई थी।
मैं ये देख कर परेशान हो गया और माँ को उसी तरह छोड़ कर चुपचाप सो गया।
जब सुबह उठा तो मैंने देखा कि मेरे लंड का चमड़ा काफ़ी सूज गया था और छिला हुआ था।
मैं बाहर निकला तो माँ रसोई से निकल रही थीं और मुझे देखते ही वापस चाय लेकर चली आईं.. पर मेरा मुँह उतरा हुआ था।
माँ मुझे देख कर मुस्कुराईं.. पर मैं कुछ नहीं बोला।
माँ थोड़ी देर बैठने के बाद काम करने चली गईं और मैं नहाने चला गया। नहाते वक़्त मैं सोच रहा था की अब तो बस चुदाई बंद ही करनी पड़ेगी। लंड को देख कर मुझे रोना आ रहा था।
तभी मुझे एक आइडिया आया कि क्यों ना माँ को ही लंड दिखा कर उनसे इलाज़ पूछा जाए और हो सकता है इसी बहाने माँ मुझे दिन में भी खुल जाएं।
मैं तौलिया लपेटे बाहर निकला और कमरे में जा कर माँ को आवाज़ दी.. तो माँ कमरे में आईं और पूछा- क्या हुआ बेटा?
मैंने कहा- माँ मेरे पेशाब वाली जगह में दर्द हो रहा है.. सूज भी गया है।
तो माँ ने मुझे ऐसे देखा जैसे कह रही हों.. ये तो एक दिन होना ही था और बोलीं- बेटा तौलिया खोलो.. मैं देखूँ। और वे बाहर बरामदे में दिन की रोशनी में आ गईं।
मैं भी बाहर आ गया और उनके पास खड़ा हो कर तौलिया खोल दिया.. मेरा लंड वाकयी में सूज का मोटा हो गया था।
जब माँ ने लंड को देखा तो धीमे से मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा- इसके साथ क्या कर रहा था?
मैंने बड़े भोलेपन से कहा- कुछ नहीं इसमें से खून भी निकल रहा है..।
तो माँ मेरे लंड को हाथ में लेकर चमड़ा पीछे करने लगीं.. तो मुझे दर्द होने लगा।
तो माँ ने कहा- ओह ये तो छिल गया है.. लग रहा है रगड़ लगी है..।
और वे चमड़ा पीछे कर के सुपारा देखने लगीं।
फिर बोलीं- अच्छा मैं इस पर बोरोलीन लगा देती हूँ.. पर तू इसे खुला ही रहने दे और अभी कुछ पहनने की ज़रूरत नहीं है.. बस मैं ही तो हूँ.. तू ऐसे ही रह ले।
ये कह कर माँ कमरे से बोरोलीन लेने चली गईं।
मैं उनके चूतड़ों को हिलते हुए देख रहा था.. तभी वो बोरोलीन लेकर आ गईं और मेरे लंड को हाथ में लेकर सुपारे पर लगाने लगीं।
जिसकी वज़ह से मेरा लंड खड़ा होने लगा और करीब 6 लम्बा हो गया.. सूजन की वज़ह से वो और मोटा लग रहा था.. ये देख कर माँ
मेरे चूतड़ पर थप्पड़ मारते हुए बोलीं- ये क्या कर रहा है?
मैं बोला- माँ ये अपने आप हो गया है.. मैंने नहीं किया है।
तो माँ बोलीं- अच्छा ये भी अपने आप हो गया है और रगड़ भी अपने आप ही लग गई है.. सच बता ये रगड़ कैसे लगी?
मैं हँसने लगा तो माँ खुद ही बोलीं- बेटा ये एक बहुत नाज़ुक अंग होता है.. इसकी देखभाल बड़ी संभाल कर करनी पड़ती है.. जब तू शादी के लायक बड़ा हो जाएगा.. तब तुझे इसकी अहमियत पता चलेगी।

माँ बोलती जा रही थीं और सुपारे और लंड पर बोरोलीन लगाती जा रही थीं।
मेरा हाथ माँ के कंधे पर था और खड़े होने की वजह से मुझे नाईटी के खुले भाग से माँ की बड़ी-बड़ी चूचियाँ आधे से ज़्यादा दिखाई पड़ रही थीं।
मैं अपने हाथों को माँ की चूचियाँ की तरफ बढ़ाते हुए बोला- क्यों माँ शादी के बाद ऐसा क्या होता है कि इसकी इतनी ज़रूरत पड़ती है?
ये सुन कर माँ ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा और बोलीं- ये तो शादी के बाद ही पता चलेगा.. तो मैं थोड़ा और मज़े लेते हुए माँ से पूछा- माँ क्या तुम औरतों की भी ये इंपॉर्टेंट होती है?
“ये क्या..?”
माँ ने पूछा।
तो मैं हँसते हुए बोला- अरे यही जो तुमने मेरा हाथ में पकड़ा हुआ है।
तो माँ मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोलीं- मेरा ऐसा नहीं है..।
तो मैंने धीरे से उनकी नाईटी का ऊपर वाला बटन खोल दिया.. जिससे उनकी चूचियाँ बाहर निकल आईं और धीमे से लंड को उससे सटाते हुए पूछा- तो फिर कैसा है?
पर माँ कुछ नहीं बोलीं.. मेरा लंड उत्तेजना में और टाइट हुआ जा रहा था और खिंचाव के कारण सुपारे के टांके वाली जगह पर दर्द होने लगा।
मैं बोला- उह.. माँ ये तो बहुत दर्द कर रहा है।
तो माँ बोलीं- बेटा रगड़ की वजह से तेरे सुपारे का टांका खुल गया है और ऊपर से तूने ही तो इसे फुला रखा है.. चल मैंने क्रीम लगा दी है.. 7-8 दिन में ठीक हो जाएगा और ये कह कर माँ सुपारे को सहलाने लगीं।
मैंने ध्यान से देखा तो माँ का भी चेहरा उत्तेजना की वजह से लाल हो
गया था और उसकी चूचियाँ और निप्पल एकदम खड़े हो गए थे।
मैंने सोचा ये मौका अच्छा है माँ को और गरम कर देता हूँ.. तो माँ शायद खुल जाएं।
ये सोच कर मैं बोला- माँ ये टांका क्या होता है और मेरा कैसे खुल गया?
माँ भी थोड़ा खुलने लगीं और बोलीं- बेटा ये जो चमड़ा है ना.. ये सुपारे के पीछे वाले हिस्से से चिपका रहता है.. तूने ज़रूर इसे तेज़ रगड़ दिया होगा। तो मैं माँ के निप्पल छूते हुए बोला- पहले ये बताओ कि इसे नीचे कैसे करूँ.. बहुत दर्द हो रहा है।

तो माँ मेरे चूतड़ों पर चिकोटी काटते हुए पूछने लगीं, “पहले कैसे करता था..?”
तो मैं हँसने लगा और माँ की चूचियों पर हाथ से दबाव बढ़ाते हुए कहा- वो तो बस ऐसे ही।
“इसलिए आजकल कुछ ज़्यादा ही रगड़ रहा है.. तेरी वज़ह से मुझे भी परेशानी होने लगी है।”
माँ ने चूचियों पर बिना ध्यान देते हुए कहा।
“तो तुम बताओ ना कि क्या करूँ..?” मैंने कहा और अपनी कमर थोड़ा और आगे बढ़ा दी.. जिससे मेरा लंड माँ की दोनों चूचियों के बीच में घुस गया और अपनी ऊँगलियों के बीच में निप्पल को फँसा लिया।
तो माँ बोलीं- ये क्या कर रहा है?
मैं शरारात से हँसते हुए बोला- माँ तुम्हारी चूचियाँ बड़ी मुलायम हैं।
पर माँ हँसते हुए उठने लगीं.. जिससे मेरा लंड उनकी चूचियों में दब गया और मेरे सुपारे पर लगा क्रीम उनकी चूचियों पर भी लग गया।
तो माँ अपनी चूचियों को हाथों से फैलाते हुए मुझे दिखा कर बोलीं- ये देख तेरी क्रीम मेरी चूचियों में लग रही है.. चल अभी खाना बनाना है.. देर हो रही है.. बाद में बताऊँगी।
माँ रसोई में से सामान ला कर वहीं बरामदे में चौकी पर बैठ कर काम करने लगीं।
उसकी चूचियाँ वैसे ही खुली हुई थीं। पर मेरे दिमाग में तो माँ को दीदी के आने से पहले नंगा करने का प्लान चल रहा था।
ये सोच कर मैं भी माँ के बगल में ही उसकी तरफ मुँह करके चौकी पर बैठ गया।
मैंने अपना एक पैर मोड़ कर माँ की जाँघों पर रख दिया.. मेरा लंड उस समय एकदम टाइट था।
माँ ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा और सब्जी काटने लगीं।
मैं माँ के सामने ही अपने लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगा.. जिससे सुपारा और फूल गया था।
माँ बोलीं- ये क्या कर रहा है?
तो मैंने कहा- माँ बहुत खुजली हो रही है।
फिर माँ कुछ नहीं बोलीं और अपना काम करने लगीं।
मैं जानबूझ कर लंड माँ के सामने करके सहला रहा था। मैंने देखा माँ का ध्यान भी मेरे सुपारे पर ही था और वो बार-बार अपनी जाँघों को फैला रही थीं.. चूँकि नाईटी का आगे का भाग खुला हुआ था.. जिससे मुझे कई बार उसकी बुर दिखाई दी.. मैं समझ गया कि माँ एकदम गरम हो गई है.. मैं उसे और उत्तेजित करने के लिए हिम्मत बढ़ाते हुए एकदम खुल कर बात करने लगा।
मैं बोला- माँ तुम कह रही हो कि मेरा लंड ठीक होने में 7-8 दिन लगेंगे और तब तक मुझे ऐसे ही लंड खुला रखना पड़ेगा..।
तो माँ बोलीं- हाँ.. खुला रखेगा तो घाव जल्दी सूखेगा और आराम भी मिलेगा।
“लेकिन माँ खुला होने की वजह से मेरा लंड पूरा तना जा रहा है.. जिससे चमड़ा खिंचने के कारण दर्द हो रहा है और खुजली भी बहुत हो रही है।”
मैंने लंड माँ को दिखाते हुए बोला.. तो माँ ने कहा- बेटा लंड खड़ा रहेगा तो खुजली होगी ही..।
तो मैं बोला- माँ क्या तुम्हारे उधर भी खुजली होती है?

कहानी जारी है।

Desi Mazza

Friday, December 11, 2015

GANNE KI MITHAS गन्ने की मिठास -7

गन्ने की मिठास--7

गतान्क से आगे......................

निम्मो- वैसे चाची चंदा भी अब बड़ी होने लगी है इसके ब्याह के बारे मे सोचना शुरू कर दो

कामिनी- अरे उस गीता का ब्याह किया था और वह कुतिया तब से यही पड़ी है इसका ब्याह कर दिया तो क्या पता यह भी हमारे सर ही ना आ जाए मे तो कहती हू इन कुतियो को कुँवारी ही पड़ी रहने दे कम से कम कोई कहने वाला तो नही होगा

निम्मो- हस्ते हुए, क्या पता चाची यह कुँवारी है या नही

चंदा- लो दीदी पानी पियो

निम्मो- क्यो री चंदा कभी हमारे खेतो की तरफ भी आ जाया कर मस्त गन्ने चुस्वाउंगी

चंदा- दीदी मुझे तो बाबा बड़े मस्त गन्ने लाकर देते है

निम्मो- अरे तो क्या हुआ कभी हमारे खेत के गन्ने भी चख कर देख, चाची तुमने चूसे है हमारे खेत के गन्ने

कामिनी- अरे कहाँ मुझे तो अपने ही गन्ने चूसने को नही मिल रहे है तेरे खेत के कहा से चुसुन्गि

निम्मो- कामिनी चाची की मोटी जाँघो को सहलाते हुए, कहो तो मे अपने खेत के गन्ने चूसने का इंतज़ाम करू

कामिनी- मुस्कुराकर पहले यह बता तूने चूसे है अपने खेत के गन्ने

निम्मो- अभी तक तो नही

कामिनी- पहले तू तो चूस कर देख ले फिर मुझे चुसवाना,

निम्मो- तो ठीक है मे जल्दी ही तुम्हे अपने खेत का सबसे मोटा गन्ना चुस्वाउंगी अच्छा चाची मे जा रही हू फिर

आउन्गि और फिर निम्मो वापस अपने खेत की ओर चल देती है,

रमिया- आह रामू भैया अब छ्चोड़ दो कही दीदी ना आ जाए

रामू पहले एक बार तू मेरे मुँह पर बैठ जा उसके बाद चली जाना, रामू जल्दी से खाट पर लेट जाता है और रमिया उसके सर की तरफ अपनी गान्ड करके अपनी स्कर्ट उँची करके बैठ जाती है और खुद रामू के लंड को पकड़ कर चाटने लगती है रामू उसके मोटे-मोटे चुतड़ों को खूब कस-कस कर फैलाते हुए उसकी गान्ड के सुराख और उसकी चूत के रस से भीगे छेद को चाटने लगता है, लेकिन जैसे ही निम्मो वहाँ पहुचती है दोनो को उस पोज़िशन मे देख कर उसके पेर वही के वही रुक जाते है और उसका मुँह खुला का खुला रह जाता है वह जल्दी से गन्ने के पास की झाड़ियो मे च्छूप जाती है और दोनो को देखने लगती है उसकी चूत से पानी बहने लगता है रामू का पूरी तरह तना हुआ मोटा लंड देख कर निम्मो की आँखे फटी की फटी रह जाती है,

हे रब्बा रामू का लोड्‍ा कितना बड़ा है कितना मस्त लग रहा है और इस कुतिया रमिया को देखो कितने प्यार से चाट रही है

इसकी तो आज मे मा से कह कर खाल उधड़वा दूँगी, कामिनी मुझसे कितनी छोटी है और इतने बड़े लंड पर कैसे झूम रही

है, हे राम मे क्या करू और फिर निम्मो अपनी एक उंगली अपने घाघरे मे ले जाकर अपनी चूत की फांको को सहलाती हुई चूत के छेद मे डाल देती है,

रमिया- भैया जीभ अंदर घुसाओ ना उसका कहना था कि रामू अपनी जीभ को उसकी चूत के छेद मे कस कर पेल देता है

जैसे ही रमिया का पानी निकलने को होता है वह रामू का लंड ज़ोर-ज़ोर से चूसना चालू कर देती है और फिर रामू एक दम से उसके मुँह मे अपने पानी की पिचकारी तेज़ी से मारने लगता है और रमिया अपनी चूत को रामू के मुँह मे ज़ोर-ज़ोर से रगड़ते हुए उसके लंड का पानी चूसने लगती है, करीब दो मिनिट बाद दोनो अलग होते है और जल्दी से कपड़े ठीक कर लेते है,

रमिया जैसे ही जाने को होती है सामने से निम्मो आ जाती है,

रमिया- दीदी मे जा रही हू तुम भी चलोगि क्या

निम्मो- नही तू जा मे रामू के साथ शाम तक आउन्गि

रमिया के जाने के बाद, निम्मो-क्यो रे रामू इतना पसीने-पसीने क्यो हो रहा है ज़्यादा काम कर लिया क्या

रामू- अरे नही दीदी बस आज गर्मी कुछ ज़्यादा ही लग रही है

निम्मो- अरे गर्मी लग रही है तो नहा ले कुछ ठंडक हो जाएगी, चल आज मे अपने भैया को नहला देती हू,

रामू- अरे नही दीदी इतनी भी गर्मी नही है और अभी बहुत काम बाकी भी है, तुम्हारा खाना रखा है खा लो

निम्मो खाना खाने लगती है और रामू अपने काम मे जुट जाता है, निम्मो अपनी जाँघो को फैलाए रामू के मजबूत

बदन को घूर रही थी और रामू अपने काम मे लगा हुआ बीच-बीच मे निम्मो की तरफ भी देख लेता था,

निम्मो- अच्छा रामू एक बात पूंच्छू

रामू- हाँ पूंच्छो

निम्मो- तुझे मे ज़्यादा अच्छी लगती हू या रमिया

रामू निम्मो को मुस्कुराकर देखते हुए, अरे दीदी यह भी कोई पुच्छने की बात है, मुझे तो आप ही ज़्यादा अच्छी लगती हो

निम्मो-मुँह बनाते हुए, तो फिर तू मेरी और ध्यान क्यो नही देता

रामू- देता तो हू दीदी

निम्मो- क्या खाक ध्यान देता है दिन भर रमिया के साथ खेतो मे रहता है और रात को घर आकर खा पीकर सो जाता है,

रामू- नही दीदी ऐसा नही है

निम्मो- अच्छा रामू आज हम खेत से अंधेरा होने के बाद चलेगे

रामू- मंद-मंद मुस्कुराते हुए, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, लेकिन सोच लो रात को कही तुम्हे डर तो नही लगेगा

निम्मो- मुझे भला काहेका डर लगेगा

रामू- नही वो क्या है ना खेतो के आस पास रात को काले-काले साप जो निकलते है

निम्मो- अरे बाप रे फिर तो हमे अभी चल देना चाहिए

रामू- हस्ते हुए, अरे घबराओ नही दीदी मे जो हू तुम्हारे साथ, और फिर रामू खेत से निकल कर निम्मो के पास आकर

खड़ा हो जाता है, और फिर अगर तुम्हे डर लगेगा तो तुम्हे मे अपनी गोद मे उठा कर ले चलूँगा,

निम्मो- मुस्कुराते हुए, अच्छा तू क्या इतना बड़ा हो गया है कि अपनी बड़ी बहन को अपनी गोद मे उठा सकता है

रामू- क्यो नही दीदी, अभी तुमने अपने भाई की ताक़त देखी ही कहाँ है मे तो तुम जैसी दो औरतो को अपनी गोद मे उठा सकता हू,

निम्मो- अच्छा तो फिर उठा कर दिखा मे भी तो देखु कि तू मुझे अपनी गोद मे उठा पाता है या नही

उसका इतना कहना था कि रामू अपने एक हाथ को अपनी दीदी के पीछे लेजा कर उसके भारी चुतड़ों को थामते हुए उसे एक हाथ मे कसे हुए अपने कंधे पर लाद लेता है ओए दूसरे हाथ से अपनी बहन के मोटी गान्ड को सहलाते हुए अब बोलो दीदी उठा लिया कि नही,

निम्मो- अरे वाह रामू तूने तो मुझे एक हाथ से ही उठा लिया, अब मुझे टाँगे ही रहेगा या उतारेगा भी.

रामू- दीदी तुम्हारा तो कोई वजन ही नही है दिल कर रहा है तुम्हे ऐसे ही उठाए रहू

दोनो एक दूसरे से बाते करते हुए मस्त हो रहे थे रामू से बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था और उसका लंड धोती के

अंदर झटके मार रहा था.

रामू- दीदी एक बात कहु

निम्मो- क्या

रामू- हरिया काका कह रहे थे कि,

निम्मो- बोल ना क्या कह रहे थे

रामू- रहने दो तुम्हे अच्छा नही लगेगा

निम्मो- अरे नही तू बता मे बुरा नही मानूँगी

रामू- नही दीदी कुछ नही

निम्मो- तू बताता है कि नही

रामू- नही मे कुछ नही कह रहा था

निम्मो- रामू तू बता दे नही तो मे तेरी हरकत मा से कहूँगी

रामू- कौन सी हरकत

निम्मो- वही जो तू अभी कुछ देर पहले रमिया के साथ कर रहा था

निम्मो की बात सुन कर रामू का मुँह खुला का खुला ही रह गया, और उसने अपना सर झुका लिया

निम्मो- अब ज़्यादा भोला ना बन मे सब जानती हू तेरी हर्कतो के बारे मे, अब जल्दी से बता दे मुझे हरिया काका क्या कह

रहे थे मेरे बारे मे नही तो आज मा के हाथ से मार ज़रूर खाएगा तू.

रामू- वो दीदी

निम्मो- पहले इधर मेरे पास आकर बैठ और फिर बता

रामू- धीरे से निम्मो से सॅट कर बैठ जाता है और निम्मो उसकी जाँघो के उपर हाथ रख कर धीरे-धीरे सहलाते हुए अब

बता,

रामू- दीदी हरिया काका कह रहे थे कि तेरी बहन निम्मो की

निम्मो- अरे आगे भी तो बोल

रामू- वह कह रहे थे की तेरी बहन निम्मो की गान्ड बहुत मोटी हो गई है और जब वह चलती है तो उसकी गान्ड बहुत

मटकती है.

निम्मो- तो तू हरिया काका से मेरे बारे मे ऐसी बाते करता है,

रामू- नही दीदी ऐसा वो कह रहे थे,

निम्मो- और क्या कह रहा था

रामू- बस इतना ही

निम्मो- तो फिर तूने क्या कहा

रामू- मेने कुछ नही बोला

निम्मो- सच बता तूने भी उसकी हाँ मे हाँ मिलाई थी ना

रामू- नही-नही दीदी बिल्कुल नही

निम्मो- उसकी जाँघ सहलाते हुए मतलब तुझे मेरी गान्ड अच्छी नही लगती है

रामू- नही दीदी

निम्मो एक दम से रामू का मोटा लंड उसकी धोती के उपर से पकड़ कर, तो फिर तेरा यह मोटा गन्ना क्यो खड़ा है, कमिने

अपनी बहन की जवानी चोदने का मन कर रहा है और कहता है कि तुझे मेरी गान्ड अच्छी नही लगती है, आज घर चल

मे मा को सब बात बता देती हू,

रामू- उसके पाँव पकड़ता हुआ अरे नही दीदी ऐसा मत करना नही तो मा मुझे घर से निकाल देगी,

निम्मो- मंद-मंद मुस्कुराते हुए, एक शर्त पर मे तुझे छ्चोड़ सकती हू

रामू- मुझे तुम्हारी सब शर्त मंजूर है,

निम्मो- ठीक है तो फिर तुझे मुझे अपना गन्ना चुसाना पड़ेगा और फिर निम्मो झट से रामू की धोती के साइड से हाथ डाल

कर उसका खड़ा हुआ लंड एक झटके मे बाहर निकाल लेती है, निम्मो जब रामू के मोटे खड़े लंड को देखती है तो उसकी

आँखो मे चमक और मुँह मे पानी आ जाता है और उसकी चूत का दाना तन कर खड़ा हो जाता है, निम्मो बिना देर किए

झुक कर रामू के लंड को अपने मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर देती है, रामू का लंड जैसे ही अपनी बहन के मुँह मे

जाता है रामू से सहन नही होता है और वह जैसे ही अपनी बहन के भरे हुए मोटे-मोटे थनो को अपने हाथ मे भर

कर दबोचता है उसे ऐसा लगता है जैसे उसका पानी अभी निकल जाएगा, क्योकि आज से पहले इतनी कसी हुई जवान लोंड़िया के मस्त चुचे उसने कभी नही दबाए थे, वह पागलो की तरह अपनी दीदी के मोटे-मोटे खरबूजो को खूब कस-कस कर दबाने और मसल्ने लगता है,

उधर निम्मो की हालत तो रामू से भी खराब हो चुकी थी उसकी चूत पानी छ्चोड़-छ्चोड़ कर लह्गे को गीला कर चुकी थी और जब उसने अपने भाई के मस्त भारी-भारी टटटे पकड़ कर सहलाते हुए उसके लंड को चूसना शुरू किया तो उसे इतना मज़ा आया की वह पागलो की तरह रामू के पूरे लंड को अपने मुँह मे भर-भर कर चूसने लगी, रामू अपने हाथो का सारा ज़ोर निम्मो की मस्त चुचियो को मसल्ने मे लगा रहा था और निम्मो अपने भैया के मस्त लंड को मस्ती के साथ चूसे जा रही थी,

निम्मो- रामू तेरा लंड तो बहुत मस्त है रे, ये रमिया ने कैसे ले लिया होगा,

रामू- दीदी रमिया तो फिर भी बड़ी है, तुम तो यह सोचो कि हरिया काका का लंड 16 की चंदा ने कैसे ले लिया होगा, और

फिर मेरा लंड तो तुम्हारी चूत मे बहुत मज़े से जाएगा,

निम्मो- अपनी दीदी की चूत चतेगा

रामू- हाँ दीदी मे तो कब से मरा जा रहा हू तुम्हारी चूत और गान्ड दोनो को जी भर कर चाटना और चोदना चाहता हू

निम्मो- तो फिर ठीक है मे खड़ी हो जाती हू तो नीचे बैठ कर मेरी चूत को चाट ले

निम्मो खड़ी होकर रामू को अपना लहगा उठा कर जैसे ही अपनी फूली हुई चिकनी चूत दिखाती है रामू अपनी बहन की

मस्तानी बुर पर अपना मुँह एक दम से दबा कर पागल कुत्ते की तरह उसकी चूत की फांको को फैला-फैला कर चाटने लगता

है और निम्मो अपने हाथो से रामू का सर अपनी फूली बुर मे दबाने लगती है,

निम्मो- आह रामू आह ओह और ज़ोर से आ ऐसे ही थोड़ा सा और फैला कर चाट भैया बहुत मज़ा आ रहा है और फिर निम्मो अपनी एक टांग उठा कर रामू के कंधे पर रख देती है जिससे उसकी चूत पूरी तरह से रामू के सामने आ जाती है

रामू- वाह दीदी कितनी गुलाबी और फूली हुई चूत है तुम्हारी और फिर रामू अपनी दीदी की चूत को अपनी जीभ से खुरेदने लगता है.

निम्मो- हे रामू मे पागल हो जाउन्गि और चाट ज़ोर से चाट अपना मुँह डाल दे मेरी चूत मे, रामू कुछ देर तक निम्मो की

चूत को चाटने के बाद उसे पीछे की ओर घुमा कर उसे अपनी झोपड़ी के एक डंडे के सहारे खड़ा करके उसे अपनी गान्ड को

बाहर की ओर निकालने को कहता है और फिर रामू घुटनो के बल अपनी दीदी की गान्ड के पीछे आकर उसका लहगा उपर उठा कर निम्मो को पकड़ा देता है और निम्मो अपने भारी चुतड़ों को और ज़्यादा उभार कर अपने लह्गे को अपने हाथो से थाम कर कमर तक चढ़ा लेती है, अब रामू जब अपनी बहन की गान्ड पर थपकी मारते हुए उसकी गान्ड के पाटो को चीर कर उसकी भूरे रंग की गुदा देखता है और उसकी गुदा से नीचे उसकी फूली फांको वाली रसीली चूत देखता है तो वह सीधे अपनी जीभ से उसकी गुदा से लेकर चूत के तने हुए दाने तक चाटना शुरू कर देता है और निम्मो अपने भारी भरकम

चुतड़ों को अपने भैया के मुँह पर रगड़ने लगती है,

रामू पागल कुत्ते की तरह अपनी दीदी के भारी चुतड़ों को खूब चीर-चीर कर चाटने लगता है, जब रामू अपनी बहन की

गान्ड और चूत चाट-चाट कर लाल कर देता है तब निम्मो सीधी खड़ी होकर अपनी एक टांग रामू की ओर बढ़ा देती है और

रामू उसकी टांग को अपने हाथो मे थाम कर अपने खड़े लंड को अपनी बहन की चूत से भिड़ा कर रगड़ने लगता है,

निम्मो उसके लंड का घर्षण अपनी चूत मे पाते ही पागल हो जाती है और वह रामू के खड़े लंड पर चढ़ने की कोशिश

करने लगती है, तभी रामू उसकी गान्ड मे हाथ डाल कर उसे अपने लंड पर चढ़ा लेता है और उसके लंड का टोपा जैसे ही

निम्मो की खुली चूत के छेद से भिदता है रामू एक तगड़ा झटका मार देता है और उसके लंड का टोपा उसकी बहन की चूत

मे फस जाता है और निम्मो उसके लंड पर चढ़ि कराहने लगती है,

निम्मो- आह रामू मुझे दर्द हो रहा है, मुझे उतार दे

रामू- अरे नही दीदी यह तो थोड़ा सा दर्द है अभी देखना कितना मज़ा आएगा तुम्हे बस धीरे-धीरे मेरे लंड पर बैठने

की कोशिश करो और फिर रामू अपनी बहन की मोटी गान्ड को पकड़ कर अपने लंड पर दबाने लगता है और अपने घुटनो को थोड़ा नीचे करके अपनी कमर का एक जोरदार धक्का निम्मो की उठी हुई चूत मे मार देता है और उसका आधे से ज़्यादा लंड एक दम से उसकी बहन की चूत मे फस जाता है,

निम्मो- आह रामू बहुत मोटा है तेरा उपर से खड़े-खड़े मुझे अपने लंड पर बैठा रहा है बहुत दर्द हो रहा है

रामू- दीदी मेने जब से तुम्हारी फूली हुई चूत को मुतते देखा है तब से ही मेरा दिल कर रहा था कि तुम्हे अपने लंड पर

बैठा कर तुम्हारी चूत फाड़ने का अलग ही मज़ा आएगा, खड़े-खड़े मेरा लंड तुम्हारी चूत मे बहुत कसा हुआ घुस

रहा है चाहो तो देख लो अब तो मेरा लंड धीरे-धीरे तुम्हारी चिकनी चूत मे सरक-सरक कर पूरा अंदर फिट हो गया है,